what is non cooperation movement - SSC NOTES PDF
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what is non cooperation movement

महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गया असहयोग आंदोलन

No:1. सितम्बर, 1920 में असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम पर विचार करने के लिए कलकत्ता में कांग्रेस महासमिति के अधिवेशन का आयोजन किया गया। what-is-non-cooperation-movement

No:2. इस अधिवेशन की अध्यक्षता लाजपत राय ने की। इस अधिवेशन में गाँधीजी ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा ‘अंग्रेजी सरकार शैतान है’, जिसके साथ सहयोग सम्भव नहीं।

No:3. अंग्रेज सरकार को अपनी भूलों पर कोई दु:ख नहीं है, अत: हम कैसे स्वीकार कर सकते हैं कि नवीन व्यवस्थापिकाएँ हमारे स्वराज्य का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

No:4. स्वराज्य की प्राप्ति के लिए हमारे द्वारा प्रगतिशील अहिंसात्मक असहयोग की नीति अपनायी जानी चाहिए।

No:5. गाँधीजी के इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए ऐनी बेसेन्ट ने कहा, “यह प्रस्ताव भारतीय स्वतंत्रता को सबसे बड़ा धक्का है” एक मूर्खतापूर्ण विरोध तथा समाज और सभ्य जीवन के विरुद्ध संघर्ष की घोषणा था।

No:6. सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, मदन मोहन मालवीय, देशबन्धु चितरंजन दास, विपिन चन्द्र पाल, मुहम्मद अली जिन्ना, शंकर नायर, सर नारायण चन्द्रावरकर ने प्रारम्भ में इस प्रस्ताव का विरोध किया।

No:7. फिर भी अली बन्धुओं एवं मोतीलाल नेहरू के समर्थन से यह प्रस्ताव कांग्रेस ने स्वीकार लिया। यही वह क्षण था जहाँ से ‘गाँधी युग’ की शुरूआत हुई।

असहयोग सम्बन्धी प्रस्ताव की मुख्य बातें इस प्रकार थीं-

No:1. सरकारी उपाधि एवं अवैतनिक सरकारी पदों को छोड़ दिया जाय।

No:2. सरकार द्वारा आयोजित सरकारी तथा अर्द्धसरकारी उत्सवों का बहिष्कार किया जाए। स्थानीय संस्थाओं की सरकारी सदस्यता से इस्तीफा दिया जाए।

No:3. सरकारी स्कूलों एवं कालेजों का बहिष्कार, वकीलों द्वारा न्यायालय का बहिष्कार किया जाए। आपसी विवाद पंचायती अदालतों द्वारा निपटाया जाए।

No:4. असैनिक श्रमिक व कर्मचारी वर्ग मेसोपोटामिया में जाकर नौकरी करने से इन्कार करें।

No:5. विदेशी सामानों का पूर्णतः बहिष्कार किया जाए।

More about असहयोग आंदोलन

No:1. दिसम्बर 1920 में नागपुर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में असहयोग प्रस्ताव से सम्बन्धित लाला लाजपत राय एवं चितरंजन दास ने अपना विरोध वापस ले लिया।

No:2. गाँधीजी ने नागपुर में कांग्रेस के पुराने लक्ष्य अंग्रेजी साम्राज्य के अन्तर्गत ‘स्वशासन’ के स्थान पर अंगेजी में साम्राज्य के अन्तर्गत ‘स्वराज्य’ का नया लक्ष्य घोषित किया।

No:3. साथ ही गाँधीजी ने यह भी कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो स्वराज्य के लक्ष्य को अंग्रेजी साम्राज्य से बाहर भी प्राप्त किया जा सकता है।

No:4. बेसेन्ट, जिन्ना एवं पाल जैसे नेता गाँधीजी के प्रस्ताव से असंतुष्ट होकर कांग्रेस को छोड़ दिये।

No:5. नागपुर अधिवेशन का ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्व इसलिए है क्योंकि यहाँ पर वैधानिक साधनों के अन्तर्गत स्वराज्य प्राप्ति के लक्ष्य को त्यागकर सरकार के सक्रिय विरोध की बात को स्वीकारा गया।

No:6. असहयोग आन्दोलन की सफलता के लिए गाँधीजी द्वारा अपनाये गये रचनात्मक कार्यों में शराब का बहिष्कार, हिन्दू-मुस्लिम एकता एवं अहिंसा पर बल, छुआछूत से परहेज, स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग हाथ से कते या बने खादी कपड़े का प्रयोग,

No:7. कांग्रेस के झण्डे के नीचे समस्त राष्ट्र को एकत्र करना, कड़े कानूनों की सविनय अवज्ञा करना, कर न देना आदि शामिल था।

आन्दोलन की प्रगति-

No:1. आन्दोलन शुरू करने से पहले गाँधीजी ने ‘कैसर-ए-हिन्द (पुरस्कार गाँधी को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सरकार के सहयोग के बदले मिला था) पुरस्कार को लौटा दिया, अन्य सैकड़ों लोगों ने भी गाँधीजी के पथ चिह्नों पर चलते हुए अपनी पदवियों।

No:2. एवं उपाधियों को त्यागा। ‘राय बहादुर’ की उपाधि से सम्मानित जमुना लाल बजाज ने यह उपाधि वापस कर दी।

No:3. असहयोग आन्दोलन गाँधीजी ने 31 अगस्त, 1920 को आरम्भ किया।

No:4. विद्यार्थियों के लिए अनेक शिक्षण संस्थायें जैसे काशी विद्यापीठ, बिहार विद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ, बनारस विद्यापीठ, तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आदि स्थापित की गयी।

No:5. वकालत का बहिष्कार करने वाले वकीलों में प्रमुख थे, बंगाल के देशबन्धु चितरंजन दास, उत्तर प्रदेश के मोती लाल नेहरू एवं जवाहर लाल नेहरू, गुजरात के बिट्ठल भाई पटेल एवं बल्लभ भाई पटेल, बिहार के राजेन्द्र प्रसाद, मद्रास के चक्रवर्ती राजगोपालाचारी एवं दिल्ली के आसिफ अली आदि।

No:6. मुस्लिम नेताओं में असहयोग आंदोलन में सर्वाधिक योगदान देने वाले नेता थे-डाक्टर अन्सारी, मौलाना अबुल कलाम आजाद, शौकत अली, मुहम्मद अली आदि थे।

No:7. गाँधीजी के आह्वान पर ‘असहयोग आंदोलन’ के लिए खर्च की पूर्ति के लिए 1921 में ‘तिलक स्वराज्य फण्ड’ की स्थापना की गई जिसमें लोगों द्वारा एक करोड़ से अधिक रुपया जमा किया गया।

No:8. 1919 के सुधार अधिनियम के उद्घाटन के लिए ‘ड्यूक’ ऑफ फलौट’ के भारत आने पर विरोध एवं बहिष्कार किया। 1921 में असहयोग आंदोलन अपने चरमोत्कर्ष पर था।

No:9. सरकार ने असहयोग आंदोलन को कुचलने का हर संभव प्रयास किया। 4 मार्च, 1921 को ननकाना के एक गुरुद्वारे में, जहाँ पर शान्ति पूर्ण ढंग से सभा का संचालन किया जा रहा था, पर सैनिकों द्वारा गोली चलाने के कारण करीब 70 लोगों की जानें गई।

आन्दोलन के बारे में अधिक जानकारी

No:1. 1921 में लार्ड रिडिंग के भारत वायसराय बनने पर दमन चक्र कुछ और ही कड़ाई से चलाया गया।

No:1. मुहम्मद अली, मोती लाल नेहरू, चितरंजन दास, लाला लाजपत राय, मौलान आजाद, राज गोपालाचारी, राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल जैसे नेता गिरफ्तार कर लिये गये।

No:3. मुहम्मद अली पहले नेता थे जिन्हें सर्वप्रथम ‘असहयोग आंदोलन’ में गिरफ्तार किया गया। अप्रैल 1921 में गाँधीजी ने वायसराय रीडिंग से मुलाकात की।

No:4. 17 अप्रैल, 1921 को ‘प्रिन्स ऑफ वेल्स’ के भारत आगमन पर उनका सर्वत्र काला झण्डा दिखाकर स्वागत किया गया,

No:5. गाँधीजी ने अली बन्धुओं की रिहाई न किये जाने के कारण प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत आगमन का बहिष्कार किया।

No:6. राजकुमार के अपमान के बदले के रूप में सरकार ने कठोर दमन की नीति का सहारा लिया, परिणामस्वरूप स्थान-स्थान पर लाठीचार्ज, मारपीट, गोलीकाण्ड आम बात हो गई, करीब 60,000 लोगों को इस अवधि में बन्दी बनाया गया।

No:7. इसी बीच दिसम्बर 1921 में अहमदाबाद में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ यहाँ पर असहयोग आन्दोलन को तीव्र करने एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने की योजना बनी।

No:8. इसी बीच में फरवरी 1922 को देवरिया जिले के चौरीचौरा नामक स्थान पर पुलिस ने जबरन एक जुलूस को रोकना चा फलतः जनता ने क्रोध में आकर थाने में आग लगा दी जिसमें एक थानेदार एवं 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गई. इस घटना से गाँधीजी स्तब्ध रह गए।

No:9. 12 फरवरी, 1922 को गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया। अब गाँधीजी ने रचनात्मक कार्यों पर जोर दिया।

No:10. असहयोग आंदोलन के स्थगन पर मोतीलाल नेहरू ने कहा यदि कन्याकुमारी के एक गाँव ने अहिंसा का पालन नहीं किया तो इसकी सजा हिमालय के एक गाँव को क्यों मिलनी चाहिए।

No:11. सुभाष चन्द्र बोस ने कहा, “ठीक इस समय जबकि जनता का उत्साह चरमोत्कर्ष पर था वापस लौटाने का आदेश दे देना राष्ट्रीय दुर्भाग्य से कम नहीं।”

No:12. आन्दोलन के स्थगित करने का प्रभाव गाँधीजी की लोकप्रियता पर पड़ा।

No:13. 13 मार्च, 1922 को गाँधीजी को गिरफ्तार कर 6 वर्ष के कई कारावास में रखा गया, स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से गाँधीजी को 5 फरवरी 1924 को रिहा कर दिया गया।

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Que.-1.भारत का स्विट्जरलैण्ड किसे कहा जाता है?

(a) केरल

(b) अहमदाबाद

(c) चंडीगढ़

(d) कश्मीर

Ans : (d) कश्मीर

Que.-2.प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी कौन है ?

(a) नर्मदा

(b) कावेरी

(c) गंगा

(d) गोदावरी

Ans : (d) गोदावरी

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