ईरान के अखामनी साम्राज्य - SSC NOTES PDF
ईरान-के-अखामनी-साम्राज्य

ईरान के अखामनी साम्राज्य

ईरान के अखामनी साम्राज्य का वर्णन कीजिए।तथा भारत पर हुए ईरानी (पारसिक ) आक्रमण का विस्तृत वर्णन कीजिए।

No:1. छठी शतब्दी ई.पू. में ईरान में साइरस नामक व्यक्ति ने अखामनी साम्राज्य की स्थापना की थी।

No:2. पारसीकों ने भारत पर आक्रमण किया अथवा नहीं विद्वानों में मतभेद है।

No:3. कुछ विद्वानों का तर्क है कि पारसीक आक्रमण भारत पर नहीं हुए।

No:4. छठीं शतब्दी ई. पू. में एक ओर मध्य भारत में मगध साम्राज्य का विस्तार हो रहा था तो दूसरी ओर पश्चिमोत्तर भारत में घोर अराजकता का वातावरण था

No:4. पश्चिमोत्तर भारत की अराजकता को देखकर विदेशी आक्रान्ताओं का ध्यान इस ओर गया और उन्होंने इस प्रान्त पर आक्रमण करके विजय श्री प्राप्त किया।

No:5. सर्वप्रथम विदेशी आक्रान्ताओं में पारसीक के अखामनी शासक ही प्रमुख थे। ईरान से भारत आने के लिए केवल दो मार्ग थे-

1). प्रथम- जेट्रोसिया के विशाल रेगिस्तान को पार करते हुए भारत में प्रवेश करना।

2). द्वितीय- बैक्ट्रिया, सौण्डिया तथा काबुल की घाटी से होते हुए सिन्धु नदी तक आना।

No:1. निर्याकस जो सिकन्दर महान का जल सेनाध्यक्ष था, उसके विवरण एरियन एवं स्ट्रेबी के ग्रन्थों में आज भी उपलब्ध हैं।

No:2. इन ग्रन्थों से भी विदित होता है कि साइरस ने भारत आने के लिए जेट्रोसिया के विशाल रेगिस्तान को पार कर भारत आने की योजना बनाई थी।

No:3. परन्तु इस विशाल रेगिस्तान में उसे असफलता ही मिली। उसकी सारी सेना नष्ट हो गई और केवल सात सिपाही बचे।

No:4. निर्याकस के विवरण के अतिरिक्त मेगस्थनीज के विवरण से भी विदित होता है कि पारसीकों ने भारत पर आक्रमण नहीं किया।

No:5. मेगस्थनीज के अनुसार हिरेक्लीज, डायोनिसस एवं सिकंदर के अलावा किसी ने भी भारत पर आक्रमण नहीं किया।

No:6. यद्यपि यह सत्य है कि पारसीकों ने भारतीय सैनिकों को किराए पर बुलाया था परन्तु कभी भी भारत पर आक्रमण नहीं किया।

No:7. आधुनिक इतिहासकार निर्याकस तथा मेगस्थनीज के इस कथन पर विश्वास नहीं करते हैं।

No:8. निर्याकस सिकन्दर का जल सेनाध्यक्ष था अतः सिकन्दर के महत्व को बढ़ाने के लिए उसने ऐसा किया।

No:9. मेगस्थनीज भी यूनानी यात्री था, अतः उसने भी सिकन्दर के महत्व को बढ़ाने कि लिए ही ऐसा वर्णन किया है।

No:10. प्लिनी के वर्णन से विदित होता है कि साइरस ने कपिश नगर पर अधिकार प्राप्त कर लिया था।

No: 11. ‘साइरस की जीवनी’ नामक ग्रन्थ में जेनोफोन नामक लेखक ने वर्णन करते हुए लिखा है कि साइरस ने वैक्ट्रिया तथा भारतीयों पर विजयश्री प्राप्त की था।

No:12. उसने विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। एडवर्ड मेयर का विचार है कि “साइरस ने हिन्दुकुश पर्वत तथा काबुल घाटी में विशेषरूप से कन्धार की भारतीय जनजातियों को जीत लिया था।

No:13. दारा स्वयं सिन्धु नदी तक आया था।” संक्षेप में महत्वपूर्ण नरेशों का वर्णन हम निम्न रूपों में कर सकते हैं

1). साइरस–

No:1. छठीं शतब्दी ई.पू. में अखामनी वंश का संस्थापक साइरस ही था।

No:2. कुछ अन्य स्थानों में साइरस का नाम ‘कुरू’ अथवा ‘कुरूण’ भी मिलता है।

No:3. साइरस ने 558 ई. पू. से 529 ई.पू. तक शासन किया।

No:4. साइरस ने न केवल ईरान में ही अपने साम्राज्य का विस्तार किया अपितु बैक्ट्रिया, सीस्तान, मकरान आदि को जीतते हुए कपिश पर आक्रमण किया।

No:5. कपिश पर विजय प्राप्त करने के बाद हिन्दुकुश पर्वत तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

No:6. इस सम्बन्ध में एडवर्ड मेयर का कथन है कि- “साइरस ने हिन्दूकुश तथा काबुल घाटी, विशेष रूप से गन्धार की भारतीय जन जातियों को जीत लिया था।”

2). दारा प्रथम

No:1. साइरस की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र काम्बुजी प्रथम (529-522 ई.पू.) शासक बना

No:2. काम्बुजी प्रथम ने मिस्र तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया

No:3. काम्बुजी प्रथम के पश्चात् अखामनी वंश में कई शासक उत्पन्न हुए परन्तु इसमें सबसे प्रतापी शासक द्वारा प्रथम था।

No:4. इतिहास में इसका नाम ‘दारयबहु’ अथवा ‘दारयवीश’ भी मिलता है।

No:5. द्वारा प्रथम ने 522 ई. पू. से 486 ई. पू. तक शासन किया दारा के शासन काल के तीन अभिलेख प्राप्त हुए हैं, जिससे उसके विषय में पर्याप्त जानकारी होती है

(1). बेहिस्तून लेख-

No:1. बेहिस्तून अभिलेख 520 ई. पू. से 518 ई. पू. के मध्य का है।

No:2. इसमें 23 प्रान्तों का उल्लेख है।

No:3. इससे प्रतीत होता है कि दारा ने अपने सम्पूर्ण साम्राज्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए 23 प्रान्तों में विभक्त कर दिया था। प्रान्तों के शासक क्षेत्रप कहलाते थे।

(2). पार्सिपोलिस लेख–

No:1. पार्सिपोलिस अभिलेख 518 ई. पू. से 515 ई.पू. के मध्य का है।

No:2. इसमें ‘शतगु’ एवं ‘गदर’ प्रान्त के नाम मिलते हैं।

No:3. यहाँ ‘शतगु’ का तात्पर्य सप्त सिन्धु’ एवं ‘गदर’ का ‘गान्धार’ से है।

(3). नक्श-ए-रूस्तम लेख-

No:1.  नक्श-ए-रूस्तम अभिलेख भी 515 ई०पू० के लगभग का है।

No:2. इस अभिलेख में ‘हिन्दू’ का उल्लेख हुआ।

No: 3. ‘हिन्दू’ का तात्पर्य उत्तरी पंजाब से है।

No:4. इतिहासकारों का कथन है कि सिन्धु की निचली घाटी का पहले नाम ‘हिन्दू’ ही था।

(i). द्वारा प्रथम के विषय में हमारी जानकारी यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस से भी होती है।

(ii). हेरोडोटस के अनुसार दारा का बीसवाँ प्रान्त भारत ही था।

(iii). भारत से उसे राजस्व का तीसरा भाग प्राप्त होता था, जो 360 टैलेण्ट (वजन) स्वर्णपूर्ण के बराबर होता था।

(iv). निःसन्देह जिस प्रकार छठीं शतब्दी ई. पू. में भारत के इतिहास में बिम्बिसार एवं अजातशत्रु का महत्व है, उसी प्रकार पाश्चात्य जगत के इतिहास में दारा प्रथम का महत्व है।

(v). अखामनी वंश के नरेश भी अपने को आर्य कहते थे। इसीलिए दारा प्रथम के अभिलेखों में उसे ‘आर्य, आर्यपुत्र’ (ऐर्य, एर्य पुत्र) कहा गया है।

जरक्सीज (लगभग 486-465 ई०पू०)-

No:1. जरक्सीज अथवा रूशायर्श दारा प्रथम का पुत्र था जरक्सीज के शासन काल में भी गान्धार, शतगु एवं सिन्धु के भारतीय सैनिक भी सम्मिलित थे।

No:2. के भारतीय सैनिक सूती वस्त्र को धारण करते थे।

No:3. जरक्सीज का शासन काल लगभग 486 ई. पू. से 465 ई.पू. तक था।

No:4. हेरोडोटस के वर्णन से विदित होता है कि जरक्सीज लगभग 465 ई. पू. में अपने किसी अंगरक्षक द्वारा वध कर दिया गया था।

जरक्सीज के उत्तराधिकारी-

No:1. जरक्सीज की मृत्यु के पश्चात् पारसीक साम्राज्य का पतन प्रारम्भ हो गया।

No:2. जरक्सीज के पश्चात् अर्तजरक्सीज प्रथम एवं द्वितीय शासक हुए।

No:3. परन्तु इतनी भी शक्ति न थी कि पूर्वजों से जो साम्राज्य प्राप्त हुआ है, उसकी सुरक्षा भी कर सकें।

No:4. एरियन के अनुसार पारसीक का अन्तिम शासक दारा तृतीय था सिकन्दर ने दारा तृतीय को पराजित कर, पारसीक आधिपत्य को समाप्त कर दिया।

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Que.-1.’हजार हाथियों की भूमि’ किसे कहा जाता है ?

(a) वेनिस

(b) बहरीन को

(c) लाओस को

(d) बेल्जियम को

Ans : (c) लाओस को

Que.-2.विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप कौन है ?

(a) माजुली

(b) उमानन्दा

(c)  न्यूमूर

(d) चाँदीपुर

Ans : (a) माजुली

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