कम्प्यूटर का इतिहास और विकास | History of Computer in Hindi
No:1. कम्प्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) – कम्प्यूटर इतिहास (computer history) की जानकारी उस समय से मिलता है, जब मनुष्य ने बड़ी-बड़ी संख्याओं की गणना करने का प्रयास किया था। बड़ी-बड़ी संख्याओं को गणना की इस प्रक्रिया ने गणना की विभिन्न पद्धतियों को जन्म दिया।
No:2. जैसे- बेबिलोनियन गणना प्रणाली (Babylonian number system), यूनानी गणना प्रणाली (Greek number system), रोमन गणना प्रणाली (Roman number system) और भारतीय गणना प्रणाली (Indian number system)।
No:3. इनमें से भारतीय गणना प्रणाली (Indian number system) सर्वत्र स्वीकार किया गया। यही आधुनिक दशमलव प्रणाली (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9) का आधार है। जहां आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कम्प्यूटर दशमलव प्रणाली (decimal system) नहीं समझता है और काम करने के लिए गणना की द्विआधारी प्रणाली (binary system) प्रयोग करता है।
कम्प्यूटर का इतिहास | History of Computer
No:1. Computer History Timeline – कम्प्यूटर का इतिहास (computer history) प्राचीन समय से गणना यंत्र प्रचलन से देखने को मिलता है। जिसे आज हम ‘अबेकस’ नाम से जानते है, जिसे चीन, जापान जैसे अन्य देश गणना कार्यो में उपयोग में लेते हैं।
No:2. कम्प्यूटर के संदर्भ में गणना हेतु प्राचीन कम्प्यूटर से लेकर आधुनिक कम्प्यूटर का विकास किया गया। जो आज भी मानव उपयोगिता को सरल बनाने हेतु निरंतर सूचना प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ रहा है।
No:3. कम्प्यूटर के इतिहास में हुए विभिन्न गणना यंत्र आविष्कारों का नाम नीचे दी गई है:-
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एबेकस | Abacus
No:1. अबेकस क्या है ? (What is Abacus in Hindi) – कम्प्यूटर का इतिहास (Computer History in Hindi) लगभग 3000 वर्ग पुराना है जबकि चीन में एक गणना (calculating device) यंत्र ‘अबेकस (abacus)‘ का आविष्कार हुआ था।
No:2. यह एक यांत्रिक उपकरण (Mechanical Device) है, जिसका उपयोग आज भी चीन, जापान सहित एशिया के कई देशों में अंकों की गणना (long fast calculation) करने के लिए किया जाता है।
No:3. बड़ी संख्याओं की गिनती करने के लिए एबेकस (abacus) नाम का पहला संगणक यंत्र मिश्र और चीन के लोगों द्वारा विकसित किया गया था।
No: 4. ‘एबेकस‘ शब्द का अर्थ होता है, ‘गणना पट्ट’। इसमें खड़ी डंडियां होती है, जिन पर गोटियों के सेट लगे होते हैं। एबेकस (abacus) का आधुनिक रूप आज भी उपयोगी है। इसमें कई खड़ी छड़े होती है और प्रत्येक में दस गोटियां होती है। खड़ी छड़े, इकाई, दहाई, सैकड़ा आदि की सूचक होती है।
नैपियर बोन्स | Napier’s Bones (Rods)
No:1. नेपियर बोंस क्या है ? (Napier’s Bones in Hindi) – नेपियर बोंस मैन्युअल रूप से संचालित गणना उपकरण है, जो संख्याओं की गणना के लिए नेपियर बोंस का अविष्कार स्कॉटलैंड के गणितज्ञ जॉन नेपिअर (John Napier Bones) ने सन् 1617 ई. में किया गया था.
No:2. यह गणना यंत्र संख्याओं की गुणा पर आधारित थी, जिससे गुणा करने की क्रिया आसान हो गई.
No:3. नेपियर बोंस (Napier bones) में 10 पट्टियाँ लगी होती थी। जिसमें क्रमशः 0 से 9 तक पहाड़े लिखे होते थे। यह यंत्र नैपियर के बोन्स के नाम से जाना जाता है।
No:4. इसे ‘रैबोलॉजी (Rabology)’ भी कहा जाता है, जो जॉन नेपियर द्वारा आविष्कृत एक शब्द है।
स्लाइड रूल | Slide Rule
No:1. स्लाइड रूल क्या है? (Slide Rule in Hindi) – अंग्रेजी गणितज्ञ एडमण्ड गुन्टर (Edmund Gunter) ने स्लाइड रूल या विसर्पी गणक विकसित किया। एडमंड गंटर (1581-1626) ने सबसे प्रारंभिक लॉगरिदमिक नियम (Logarithmic rule) को तैयार किया।
No:2. यह मशीन जोड़, घटाना, गुणा और भाग जैसी क्रियाएं कर सकती थी। इसे 16वीं शताब्दी में यूरोप में व्यापक रूप से प्रयोग में लाया गया।
No:3. सन् 1620 में स्लाइड नियम, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में बोलचाल के रूप में भी जाना गया, यह एक यांत्रिक एनालॉग कम्प्यूटर (Mechanical analog computer) होता है।
No:4. स्लाइड नियम एक ग्राफिकल एनालॉग कैलकुलेटर के रूप में, नोमोग्राम (Nomograms) से संबंधित था। लेकिन पूर्व में इसका उपयोग मुख्य रूप से सामान्य गणनाओं जैसे- गुणन और विभाजन के साथ रूट्स (roots), लॉगरिथम (logarithms) और त्रिकोणमिति (trigonometry) जैसे गणना कार्यों के लिए भी किया जाता था। इसके अतिरिक्त जोड़ और घटाव के लिए नहीं। बाद इसका अनुप्रयोग विशिष्ट गणनाओं के लिए किया गया।
No:5. यह यंत्र लघुगणक विधि (Logarithmic method) के आधार पर कार्य करता था। 20वीं शताब्दी के 8वे दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स पॉकेट कैलकुलेटर (Electronic pocket calculator) का अविष्कार होने पर इसका प्रयोग बंद हो गया।
पास्कलाइन | Pascaline
No:1. पास्कलाइन क्या है? (What is Pascaline in Hindi) – शताब्दियों बाद अनेक अन्य यांत्रिक मशीनें अंकों की गणना के लिए विकसित की गई। आपने शायद ब्लेज पास्कल (French mathematician philosopher Blaise Pascal) का नाम सुना होगा।
No:2. उसने 19 वर्ष की आयु में एक मशीन (pascal’s calculator) बनायी जो जोड़ (addition) और घटाने (subtraction) का काम कर सकती थी। इस मशीन में पहिए, गियर और सिलिण्डर हुआ करता था।
No:3. 17वीं शताब्दी में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaize Pascal) ने एक यांत्रिक अंकिय गणना यंत्र (Mechanical Digital Calculator) सन् 1642- 1644 में विकसित किया। इस मशीन को एडिंग मशीन (Adding Machine) कहा जाता था, क्योंकि यह केवल जोड़ (Add) कर सकती थी।
No:4. यह मशीन घड़ी और ओडोमीटर के सिद्धांत (principle of odometer or odograph) पर कार्य करती थी। ब्लेज पास्कल (Blaize Pascal) की इस एडिंग मशीन को ‘पास्कलाइन (Pascaline)’ कहते है। जो सबसे पहला यांत्रिकीय गणना यंत्र (first mechanical calculating machine) था।
No:5. सन् 1694 में जर्मन गणितज्ञ व दार्शनिक गाॅटफ्रेड वाॅन लेबनीज (Gottfried von Leibniz) ने पास्कलाइन का विकसित रूप तैयार किया। जो जोड़ (add) के अलावा गुणा (Multiplication) व भाग (Division) की क्रिया भी कर सकती थी।
लिब्निज मशीन | Mechanical Calculator of Leibniz
No:1. लिब्निज कैलकुलेटर क्या है? (Leibniz Calculator in Hindi) – सन् 1677 में जर्मन दार्शनिक और गणितज्ञ गोटफ्रेड वान लिब्निज (Gottfried von Leibniz) ने पास्कल मशीन (pascal machine) का अनुसरण कर गणना यंत्र बनाया।
No:2. जिस पर कैलकुलेटर के भागों को सुविधा अनुसार दांयी और बांयी ओर खिसकाया जा सकता था।
No:3. जर्मन गणितज्ञ गोटफ्रेड वान लिब्निज ने यांत्रिक कैलकुलेटर (Mechanical Calculator) का अविष्कार किया था। यह मशीन जोड़, घटाव के साथ-साथ गुणा व भाग कर सकने में भी समर्थ थी।
No:4. लिब्निज ने पास्कल यंत्र में सुधार कर एक जटिल गणना मशीन का निर्माण किया। जिस पर जोड़, घटाव के साथ ही गुणा व भाग संबंधी गणनाएं करने की गति बहुत तेजी से किया जा सकता था।
जैक्वार्ड लूम | Jacquard Loom Machine
No:1. जैक्वार्ड लूम क्या है? (Jacquard Loom in Hindi) – सन् 1801 में फ्रांसीसी बुनकर जोसेफ जेकार्ड (Weaver ‘Joseph Marie Jacquard’) ने कपड़े बुनने के ऐसे लूम (loom) का आविष्कार किया।
No:2. जो कपड़ों में डिजाइन या पैटर्न स्वतः देता था।
No:3. इस लूम (loom) की विशेषता यह थी कि यह कार्डबोर्ड के छिद्रित पंच कार्डों (punch card) के साथ कपड़े के पैटर्न को नियंत्रित करता था।
No:4. पंचकार्ड (punch card) पर छेदों की उपस्थिति या अनुपस्थिति से धागों (threads) को निर्देशित किया जाता था।
चार्ल्स बैबेज का डिफरेंस इंजिन | Charles Babbage’s Difference Engine
No:1. डिफरेंस इंजन क्या है? (Difference Engine in Hindi) – सन् 1823 में प्रसिद्ध ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने गणित की जटिल गणना करने के लिए एक यंत्र का आविष्कार/निर्माण किया। इसे ‘डिफ्रेंस इंजन (difference engine)’ कहते थे। बाद में उसने सामान्य कार्यो की गणना करने की मशीन विकसित किया। जिसे विश्लैषिक इंजन (analytical engine) के नाम से जाना जाता था। चलिए विस्तार से पढ़ते है –
No:2. कम्प्यूटर के इतिहास (computer history) में, 19 वीं शताब्दी की प्रांरभिक समय को कम्प्यूटर विकास का स्वर्णिम युग कहा जाता है। जिसमें ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) को एक यांत्रिक गणना मशीन (Mechanical Calculating machine) का निर्माण/विकसित करने की आवश्यकता/जरूरत महसूस हुई। जबकि, गणना के लिए प्रयुक्त सरणियों में त्रुटि (error) थी। चूंकि ये सरणियाँ हस्तनिर्मित (handmade) थीं। इसलिए, उनमें विभिन्न त्रुटि (error) हुआ करती थी।
No:3. चार्ल्स बैबेज ने सन् 1822 में एक यांत्रिक गणना मशीन का निर्माण किया था, जो ब्रिटिश सरकार द्वारा संरक्षित किया गया था। इस मशीन को ‘डिफरेंस इंजन (Difference Engine)’ नाम दिया गया। इस मशीन में गियर और शाफ्ट लगा हुआ करता था और साथ ही यह भाप से चलती थी।
एनालिटिकल इंजन | What is Analytical Engine
No:1. एनालिटिकल इंजन क्या है? (Analytical Engine in Hindi) – सन् 1833 में, चार्ल्स बैबेज ने एक शक्तिशाली मशीन विश्लेषणात्मक इंजन (Analytical Engine) का निर्माण/विकसित किया, जो डिफरेन्स इंजिन (Difference Engine) का एक विकसित रूप था। बैबेज ने कंप्यूटर के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया।
No:2. चार्ल्स बैबेज का विश्लेषणात्मक इंजन (analytical engine) आधुनिक कंप्यूटर (modern computer) का आधार बन गया और यही कारण है कि चार्ल्स बैबेज को कम्प्यूटर विज्ञान का पिता (Father of Computer Science) कहा जाता है। यही से आधुनिक कम्प्यूटर युग (Modern Computer Era) का आरंभ हुआ।
No:3. इस आधुनिक कम्प्यूटर के मुख्यतः पांच भाग होते थे- इनपुट यूनिट (Input Unit), स्टोर यूनिट (Store Unit), मिल (Algorithm), कंट्रोल यूनिट (Control Unit), ऑउटपुट यूनिट (Output Unit)।
होलेरिथ सेंसस टेबुलेटर | Hollerith Census Tabulator
No:1. होलेरिथ टेबुलेटिंग मशीन क्या है? (Hollerith Tabulating Machine in Hindi) – अमेरिकी गणितज्ञ हरमन होलेरिथ, जो लेखांकन में शीघ्र गणना कार्य हेतु एक इलेक्ट्रोमैकेनिकल पंचकार्ड युक्त मशीन का आविष्कार/निर्माण किया। जिसे वर्ष 1880 में शुरू की गई अमेरिका की जनगणना (Census of america) में 7 वर्ष से काम समय लगे थे।
No:2. कम समय में जनगणना के कार्य को सम्पन्न करने के लिए हर्मन होलेरिथ (Herman Hollerith) ने एक टेबुलेटिंग मशीन (First Tabulating Machine) का निर्माण किया। यह पहली यांत्रिक मशीन (Mechanical machine) थी जो विद्युत से चलने वाली मशीन थी।
No:3. इस मशीन में इलेक्ट्रोमैकेनिकल पंचकार्ड का उपयोग किया जाता था। जिसमें पंचकार्डो (punch card) को विद्युत (Electricity) द्वारा संचालित किया गया। इस मशीन की सहायता से जनगणना का कार्य (census work) केवल तीन वर्ष में सम्पन्न हो गया।
No:4. पंच कार्ड क्या है? (Punch Card in Hindi) – हरमन होलेरिथ (Herman Hollerith) ने अपनी एक कोड विकसित किया, जिसे ‘होलेरिथ कोड (Hollerith Code)’ कहा जाता था।
No:5. इस कोड के द्वारा पंचकार्ड में सूचना का संग्रह (Data stored) करना संभव हो पाया। इन पंचकार्ड में सूचना संग्रहण हेतु जो छिद्र होते थे वह 1 अंक एवं छिद्र नहीं होते थे वह 0 को प्रदर्शित करता था।
No:6. कम्प्यूटर इतिहास (computer history) में, इस पंचकार्ड मशीन निर्माण से भविष्य के लिये सूचनाओं को संग्रहित करना संभव हो सका। पंचकार्ड (Punch Card) के अविष्कार करने का श्रेय हरमन होलेरिथ को दिया जाता है।
No:7. सन् 1896 में हरमन होलेरिथ एक कंपनी का निर्माण किया और कपंनी में टेबुलेटिंग मशीन (Tabulating Machine) बेचा करते थे। 1924 में कपंनी अन्य कंपनी से विलय होकर आईबीएम (IBM) कंपनी बनी।
No:8. सन् 1911 में संयोजित कम्प्यूटिंग-टेबलिंग-रिकाॅर्डिंग कपंनी बनायी। जिसे सन् 1924 में आईबीएम कपंनी का नाम दिया। जो International Business Machines Corporation (IBM) के नाम से जाने लगी।
हार्वर्ड मार्क-1 | Harvard Mark-I
No:1. हार्वर्ड मार्क-1 क्या है? (Harvard Aiken Mark-I in Hindi) – सन् 1940 में, विद्युत यांत्रिक कम्प्यूटिंग (Electro–Mechanical Computers) चरम पर पहुंच गया।
No:2. जहाँ सन् 1944 में आईबीएम (IBM) में चार शीर्ष इंजीनियरों और डॉ. हावर्ड आइकेन (Dr. Howard Aiken) ने एक मशीन विकसित किया।
No:3, इसका आधिकारिक नाम ऑटोमेटिक सीक्वेंस कंट्रोल कैलकुलेटर (Automatic Sequence Controlled Calculator) रखा था।
No:4. बाद में हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने इस मशीन का नाम बदलकर मार्क-1 (MARK-I) रखा गया। यह विश्व का पहला स्वचालित विद्युत यांत्रिक कम्प्यूटर (First Electro-mechanical Computer) था।
No:5. इसमें 500 मील के लम्बाई तार और 3 मिलियन विद्युत संयोजन (connection) लगे होते थे। यह 6 सेकंड में एक गुणा और 12 सेकंड में भाग कर सकता है।
एबीसी | ABC Computer
No:1. एबीसी क्या है? (Atanasoff–Berry computer (ABC) in Hindi) – सन् 1945 में एटानासोफ (Atanasoff) और क्लिफर्ड बेरी (Clifford berry) द्वारा एक डिजिटल इलेक्ट्रानिक मशीन को विकसित किया गया। History of Computer in Hindi
No:2. एटानासोफ (Atanasoff) और क्लिफर्ड बेरी कम्प्यूटर, जिसे इंग्लैंड में बनाया गया था।
ABC Computer in Hindi
No:1. Atanasoff-Berry Computer (ABC) सबसे पहला स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर (First Electronic Digital Computer) था।
No:2. जिसका नाम एबीसी (ABC) रखा गया। एबीसी शब्द Atanasoff-Berry Computer का विस्तृत रूप (abc full form) है।
यांत्रिक और विद्युत संगणक | Mechanical and Electrical Computer
No:1. 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में सभी प्रकार के गणितीय सवालों को करने के लिए यांत्रिक संगणक (Mechanical computer) विकसित किया गया था। सन् 1960 की शताब्दी तक इसका प्रयोग व्यापक रूप से होता था। History of Computer in Hindi
No:2. बाद में, यांत्रिक संगणक के घूमने वाले भाग के स्थान पर विद्युत मोटर (electric motor) लगाई गई। इसलिए यह विद्युत संगणक (Electrical computer) कहलाता था।
आधुनिक इलेक्ट्रानिक संगणक | Modern Electronic Computer
No:1. सन् 1960 की शताब्दी में प्रयुक्त इलेक्ट्रानिक कैलकुलेटर इलेक्ट्रान ट्यूब से चलता था। जो बहुत बड़ा था। बाद में इन ट्यूबों का स्थान ट्रांजिस्टरों ने लिया। जिसके फलस्वरूप कैलकुलेटरों का आधार बहुत छोटा हो गया। History of Computer in Hindi
No:2. आधुनिक इलेक्ट्रानिक कैलकुलेटर गणित के सभी प्रकार के गणितीय कार्य कर सकता है। इसका प्रयोग कुछ आंकड़ों को स्थायी रूप से सुरक्षित रखने के लिए भी किया जा सकता है। कुछ कैलकुलेटरों में जटिल गणना करने के लिए उनमें अतः निर्मित क्षमता होती है। History of Computer in Hindi
No:3. सन् 1950 में आधुनिक कम्प्यूटर के विकास के साथ यूरोप से बाजार में उतरा गया। सभी कम्प्यूटर इलेक्ट्रॉनिक हुआ करते थे। मार्क I (Mark I) और इसके आस पास के कंप्यूटर अस्तित्व में आये थे जैसे – ENIAC, EDSAC, EDVAC, LEO, UNIVAC-I इत्यादि। यह कम्प्यूटर विकास की प्रथम पीढ़ी के रूप में माना जाता है।
No:4. कम्प्यूटर इतिहास (Computer History) का वर्षवार कम्प्यूटर की पीढ़ी (Generation of Computer) और उनके विकास क्रम की जानकारी निम्नानुसार है:
1). प्रथम पीढ़ी का कम्प्यूटर | First Generation of Computer (1940-1956)
2). दूसरी पीढ़ी का कम्प्यूटर | Second Generation of Computer (1956-1963)
3). तीसरी पीढ़ी का कम्प्यूटर | Third Generation of Computer (1964-1971)
4). चौथी पीढ़ी का कम्प्यूटर | Fourth Generation of Computer (1971-1989)
5). पांचवी पीढ़ी का कम्प्यूटर | Fifth Generation of Computer (1989-अब तक)
MUST READ : कम्प्यूटर के प्रकार, वर्गीकरण | Types of Computer in Hindi
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