विश्व गौरैया दिवस को गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इसके अलावा ये शहरी वातावरण में रहने वाले आम पक्षियों के प्रति जागरूकता लाने हेतु भी मनाया जाता है। विश्व में विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) हर वर्ष 20 मार्च को मनाया जाता है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार भारत में गौरैया की संख्या में करीब 60 फीसदी तक कमी आ गई है। पहले यह हर घरों में आसानी से देखी जाती थी और इनकी चहचहाट गली गली में सुनायी देती थी।
चीं-चीं, फुदकन, चिरैया ऐसे कई नामों से आप ने बचपन में जिस गौरैया को आंगन और मुंडेर पर चहकते देखा होगा वो अब कम ही दिखाई देती हैं। पक्के मकान, बदलती जीवनशैली और मोबाइल रेडिएशन से यह धीरे-धीरे विलुप्त जा रही है।
इनकी घटती संख्या को लेकर ही पहली बार 2010 में गौरैया दिवस मनाया गया था। साल 2012 में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य-पक्षी घोषित कर दिया। गौरैया दिवस को मनाने का उद्देश्य गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
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World Sparrow Day
गौरेया ‘पासेराडेई’ परिवार की सदस्य है, लेकिन कुछ लोग इसे ‘वीवर फिंच’ परिवार की सदस्य मानते हैं। इनकी लम्बाई 14 से 16 सेंटीमीटर होती है तथा इनका वजन 25 से 32 ग्राम तक होता है। एक समय में इसके कम से कम तीन बच्चे होते हैं। गौरेया अधिकतर झुंड में ही रहती है। भोजन तलाशने के लिए गौरेया का एक झुंड अधिकतर दो मील की दूरी तय करता है।
गोरखपुर बेलघाट के सुजीत कुमार ने गौरैयों के संरक्षण के लिए चार सौ घोंसले लगा रखे है। जहां इनकी अच्छी खासी आबादी देखी जा सकती है। सुजीत के अनुसार कोई 18 साल पहले उनके घर गौरैया का परिवार कहीं से भटक कर आ गया था। गौरैया को देखकर उन्होंने चावल के दाने बिखेर दिए, जिन्हें वह खाने लगी। धीरे-धीरे उनके साथ अन्य गौरैया भी आने लगीं। यह सिलसिला चलता रहा और उन्होंने गौरैयों को पूरा संरक्षण दिया, उनके घरों को संवारा।
गौरैया से संबंधित रोचक तथ्य
No.-1. गौरैया का जीवन काल 11 से 13 वर्ष होता है।
No.-2. यह समुद्र तल से 1500 फीट ऊपर तक पाई जाती है।
No.-3. गौरैया पर्यावरण में कीड़ों की संख्या को कम करने में मदद करती है।
ऐसे बचा सकते हैं गौरैया
No.-1. अगर गौरैया आपके घर में घोसला बनाए तो उसे बनाने दें उसे हटाए न।
No.-2. रोजाना अपने आंगन, खिड़की, बाहरी दीवारों पर उनके लिए दाना-पानी रखें।
No.-3. गर्मियों में गौरैया के लिए पानी रखें।
No.-4. उनके लिए जूते के डिब्बों, प्लास्टिक की बड़ी बोतलों और मटकियों में छेद करके इनका घर बना कर उन्हें उचित स्थानों पर लगाए।
No.-5. प्रजनन के समय उनके अंडों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।