World Geography Notes for UPSC PDF Download - SSC NOTES PDF
World Geography Notes for UPSC PDF Download

World Geography Notes for UPSC PDF Download

World Geography Notes for UPSC PDF Download Dear students आज के इस पोस्ट मे हम लेकर आये World geography notes, दोस्तों आप सभितो जानते ही है कि यह notes UPSC के Exam के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए हम आपके लिए विस्तार मे world geography के कुछ तथ्यों को जान्ने का प्रयास करेंगे आप सभी ध्यान से पढ़े और याद करे

वायुमण्डल (वायुमण्डल में व्याप्त तत्व, धूल के कण, वायुमण्डल की संरचना), सूर्य ताप(सूर्यातप को प्रभावित करने वाले तत्व)

No.-1. Download 15000 One Liner Question Answers PDF

No.-2. Free Download 25000 MCQ Question Answers PDF

No.-3. Complete Static GK with Video MCQ Quiz PDF Download

No.-4. Download 1800+ Exam Wise Mock Test PDF

No.-5. Exam Wise Complete PDF Notes According Syllabus

No.-6. Last One Year Current Affairs PDF Download

No.-7. Join Our Whatsapp Group

No.-8. Join Our Telegram Group

पृथ्वी के चारों तरफ कई सौ किलोमीटर ऊँचाई तक व्याप्त गैस का भाग वायुमण्डल कहलाता है । वैज्ञानिकों का मानना है कि शुरूआत में पृथ्वी से हिलीयम और हाइड्रोजन जैसी बहुत ही हल्की गैसों के अलग हो जाने से वायुमण्डल का निर्माण हुआ होगा। चूँकि ये दोनों ही गैसें बहुत अधिक हल्की होती हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से ये गैस वर्तमान में भी सबसे अधिक ऊँचाई पर पाई जाती हैं ।
जलवायुशास्त्र के वैज्ञानिक क्रिचफील्ड के अनुसार वर्तमान वायुमण्डल 50 करोड़ वर्ष पुराना है । अर्थात् क्रेम्ब्रीयन युग में अस्तित्त्व में आया होगा । यह वायुमण्डल पृथ्वी की गुरूत्त्वाकर्षण शक्ति के कारण उससे बँधा हुआ है।
वायुमण्डल पृथ्वी के लिए ग्रीन हाउस प्रभाव (विशाल काँचघर) की तरह काम करता है । यह सौर विकीकरण की लघु तरंगों को तो पृथ्वी पर आने देता है, किन्तु पृथ्वी द्वारा लौटाई गई दीर्घ तरंगों को बाहर जाने से रोक देता है । यही कारण है कि पृथ्वी का औसत तापमान 35 अंश सेन्टीग्रेड तक बना रहता है ।
वायुमण्डल में व्याप्त तत्व:
वायुमण्डल में अनेक तरह की गैसों के अतिरिक्त जलवाष्प तथा धूल के कण भी काफी मात्रा में पाये जाते हैं । वायुमण्डल के निचले हिस्से में कार्बनडायऑक्साइड तथा नाइट्रोजन जैसी भारी और सक्रिय गैसे पाई जाती हैं । ये क्रमशः पृथ्वी से 20 किलोमीटर, 100 किलोमीटर तथा 125 किलोमीटर की ऊँचाई पर व्याप्त हैं ।
इसके अतिरिक्त नियाँन, मिप्टान और हिलीयम जैसी हल्की गैसे भी हैं, जिनका अनुपात काफी कम है । उल्लेखनीय है कि वायुमण्डल में कार्बनडायऑऑ क्साइड का अनुपात मात्र 0.03 ही है । किन्तु पृथ्वी पर जीवन के संदर्भ में यह बहुत अनिवार्य है, क्योंकि यह गैस ताप का अवशोषण कर लेती है, जिसके कारण वायुमण्डल की परतें गर्म रहती हैं ।
जबकि इसके विपरीत वायुमण्डल में नाइट्रोजन 79 प्रतिशत तथा ऑक्सीजन 21 प्रतिशत होती है । बहुत अधिक ऊँचाई पर कम मात्रा में ही सही ; लेकिन ओजोन गैस का पाया जाना भी जलवायु की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । ओजोन मण्डल सूर्य से निकलने वाली पराबैगनी किरणों को आंशिक रूप से सोखकर पृथ्वी के जीवों को अनेक तरह की बीमारियों से बचाता है ।
धूल के कण –
वस्तुतः वायुमण्डल में गैस और जलवाष्प के अतिरिक्त जितने भी ठोस पदार्थों के कण मौजूद रहते हैं, वे धूल-कण ही हैं । इनका जलवायु की दृष्टि से बहुत अधिक महत्त्व है। ये विकीकरण के कुछ भाग को सोखते हैं और उनका परावर्तन भी करते हैं । इन्हीं के कारण आकाश नीला तथा सूर्योंदय एवं सूर्यास्त के समय लाल दिखाई देता है।
वायुमण्डल की संरचना –
व्यावहारिक रूप में धरातल से आठ सौ किलोमीटर की ऊँचाई ही वायुमण्डल की दृष्टि से अधिक महत्त्वपूर्ण है । अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने वायुमण्डल की इस ऊँचाई को अनेक समानान्तर स्तरों पर विभाजित किया है । इस विभाजन का आधार वायुमण्डल में तापमान का वितरण है ।
ये स्तर निम्न हैं:-
(i) क्षोभ मण्डल (Trotosphere) यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है जो पृथ्वी से 14 किलोमीटर ऊपर तक मानी जाती है । जलवायु एवं मौसम की दृष्टि से यह परत विशेष महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि सभी मौसमी घटनाएँ इसी स्तर पर सम्पन्न होती हैं ।
इस मण्डल की एक प्रमुख विशेषता है – ऊँचाई में वृद्धि के साथ तापमान में गिरावट का होना । इस परत में प्रति किलोमीटर 6.5 डिग्री सेल्सियस तापमान कम हो जाता है । चूँकि इस परत पर बादल और तूफान आदि की उत्पत्ति होती है, इसीलिए विमान चालक इस मण्डल में वायुयान चलाना पसन्द नहीं करते । शायद इसीलिए इसे ‘‘क्षोभ मण्डल’’ भी कहा जाता है ।
(ii) समताप मण्डल (Stratosphere) इसकी शुरूआत क्षोभ मण्डल से होती है जो 30 किलोमीटर ऊपर तक मानी जाती है । इसे स्तरण मण्डल (Region of staratification) भी कहा जाता है । इस मण्डल की विशेष बात यह है कि इसमें ऊँचाई में वृद्धि के साथ तापमान का नीचे गिरना समाप्त हो जाता है । वायुमण्डल की यह परत विमान चालकों के लए आदर्श होती है । चूँकि इस मण्डल में जलवाष्प एवं धूल के कण नहीं पाये जाते, इसलिए यहाँ बादलों का निर्माण नहीं होता ।
(iii) मध्य मण्डल (Mesosphere) यह 30 किलोमीटर से शुरू होकर 60 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है । इसे ओजोन मण्डल भी कहा जाता है । चूँकि इस परत में रासायनिक प्रक्रिया बहुत होती है इसलिए इसे ‘केमोसफियर भी कहते हैं ।
वस्तुतः इस मण्डल में ओजोन गैस की प्रधानता होती है जो पराबैगनी किरणों को छानने का काम करता है । साथ ही यह सौर विकीकरण के अधिक भाग को सोख लेता है। इसलिए यह जीवन के लिए बहुत उपयोगी मण्डल है ।
(iv) ताप मण्डल(Thermosphere) मध्य-मण्डल के बाद वायुमण्डलीय घनत्त्व बहुत कम हो जाता है । यहाँ से तापमान बढ़ने लगता है, जो 350 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँचते-पहुँचते लगभग 12 सौ डिग्री सेल्सियस हो जाता है । इस क्षेत्र में लौह कणों की प्रधानता होती है, इसलिए इसे ‘आयनोस्फियर’ भी कहा जाता है । इन कणों की प्रधानता के कारण ही यहाँ रेडियो की तरंगें बदलती रहती हैं । यह मण्डल 80 किलोमीटर से शुरू होकर 640 किलोमीटर ऊँचाई तक फैला हुआ है।
(v) ताप मण्डल (Exosphere) यह वायुमण्डल की सबसे ऊपरी परत है । इसकी ऊँचाई 600 से 1000 किलोमीटर तक मानी जाती है । इसे अन्तरिक्ष और पृथ्वी के वायुमण्डल की सीमा माना जा सकता है । इसके पश्चात् अन्तरिक्ष प्रारंभ हो जाता है ।
सूर्य ताप –
सूर्य आग का एक धधकता हुआ गोला है । पृथ्वी इस उष्मा का मात्र दो अरबवां भाग प्राप्त करती है । सूर्य से निकली ऊर्जा का जो भाग पृथ्वी की ओर आता है, उसे ‘सूर्यातप (Insolation) कहते हैं ।
सूर्यातप को प्रभावित करने वाले तत्व –
धरातल पर सूर्य की ऊष्मा भिन्न-भिन्न मात्रा में पहुँचती है । इसके निम्न कारण हैं — धरातल पर सूर्य की ऊष्मा भिन्न-भिन्न मात्रा में पहुँचती है । इसके निम्न कारण हैं –
1) किरणों का तिरछापन
सूर्य की किरणें जब जिस किसी स्थान पर तिरछी पड़ती हैं, तो वे अधिक क्षेत्र में फैल जाती हैं । इसलिए वहाँ सूर्यातव की तीव्रता कम हो जाती है । शाम को ऐसा ही होता है । साथ ही तिरछी किरणों को वायुमण्डल में अधिक दूरी तय करनी पड़ती है । इसलिए भी रास्ते में ही उनमें बिखराव, परावर्तन और अवशोषण होने लगता है । इसलिए उनकी तीव्रता कम हो जाती है । जबकि इसके विपरीत दोपहर के समय; जब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर बिल्कुल सीधी पड़ती हैं तो वे अधिक सकेन्द्रीत हो जाती हैं । इसलिए सूर्यातव की तीव्रता बढ़ जाती है। साथ ही यह भी कि अपेक्षाकृत कम दूरी तय करने के कारण इनका अधिक बिखराव, परावर्तन और अवशोषण नहीं हो पाता ।
2) पृथ्वी की दूरी
चूँकि पृथ्वी अपने अंडाकार कक्ष में सूर्य की परिक्रमा करती रहती है, इसलिए सूर्य से उसकी दूरी में परिवर्तन होता रहता है । औसत रूप में पृथ्वी सूर्य से 9.3 करोड़ मील दूर है और 9.15 करोड़ मील निकट है ।
3) वायुमण्डल का प्रभाव
वायुमण्डल की निम्न परतों में आर्द्रता की मात्रा जितनी अधिक होती है, विकीकरण का उतना ही अधिक अवशोषण होता है । इसीलिए आर्द्र प्रदेशों के अपेक्षा शुष्क प्रदेशों को अधिक सूर्यातव की प्राप्ति होती है।
4) सौर विकीकरण की अवधि
हम जानते हैं कि दिन की लम्बाई में ऋतुओं के अनुसार परिवर्तन होता रहता है । शीत ऋतु में दिन छोटे, जबकि ग्रीष्म ऋतु में दिन लम्बे हो जाते हैं। चूँकि सूर्य दिन में ही निकलता है, इसलिए लम्बे दिनों में सूर्यातव अधिक तथा छोटे दिनों में सूर्यातव कम प्राप्त होता है ।
5) सूर्यातव का अपक्षय –
सौर विकीकरण को धरातल पर पहुँचने के दौरान वायुमण्डल का मोटा आवरण पार करना पड़ता है । इस यात्रा को ‘सौर विकीकरण का अपक्षय’ (विनाश) कहते हैं । इस अपक्षय के कुछ कारण होते हैं, जो निम्न हैं:-
प्रकीर्णन (Scattering) –
इसी के कारण आकाश का रंग नीला और कभी-कभी लाल दिखाई देता है । जब प्रकाश की अलग-अलग लम्बाई वाली तरंगें धूल एवं जलवाष्प से गुरजती हैं, तो उनका प्रकीर्णन हो जाता है । इससे ऊर्जा का क्षरण होता है ।
ii.विसरण (Diffusion)
जब किरणों के रास्ते में ऐसे कण पड़ जाते हैं, जिनका व्यास किरणों की तरंग दैघ्र्य से बड़ा होता है, तब सभी तरंगे इधर-उधर परावर्तित हो जाती हैं । इस प्रक्रिया को ‘प्रकाश का विसरण’ कहते हैं । सांध्य-प्रकाश विसरण की ही देन है ।
iii. अवशोषण (Absorption)
ऑक्सीजन, कार्बन तथा ओजोन गैस पराबैगनी किरणों का अवशोषण करती हैं । वायुमण्डल में व्याप्त जलवाष्प सूर्यातव का सबसे बड़ा अवशोषक है ।
iv परावर्तन (Reflection)
प्रकाश की किरणों के कुछ भाग का धरातल से परावर्तन हो जाता है । परावर्तन की यह मात्रा धरातल के चिकनेपन पर निर्भर करती है। जो धरातल जितना चिकना होगा, परावर्तन उतना ही अधिक होगा । पूर्ण मेघाच्छादित धरातल पर सूर्य के प्रकाश में कमी का मूल कारण परावर्तन होता है, न कि अवशोषण ।

World Geography Notes for UPSC PDF Download

Subject Wise PDF Download Links

Environment QuestionsEnglish Grammar Book
Hindi Vyakaran PDFTricky Math Questions
Biology Question and AnswerPhysics Question
General Science PDF HindiEnglish Grammar
Ancient HistoryMedieval History of India
Computer BookMath Short Trick
Hindi GrammarEnvironment UPSC Book
Biology QuestionEnglish Grammar Hindi
Modern History of IndiaScience GK Questions
Computer Question in HindiMath Tricks Magic
Chemistry QuestionHistory of Questions
Environment Study PDFComputer MCQ
Physics MCQEnglish Grammar Tenses
Tricky Maths QuestionsScience GK
Computer Notes HindiEnglish Grammar Notes
Computer GKTricky Math in Hindi
Hindi Vyakaran BookEnvironment PDF
English Grammar PDF BooksBiology MCQS
Ancient History IndiaComputer Questions
English Grammar in HindiMath Tricks Hindi
Hindi Grammar BookEnglish Grammar PDF
Biology PDFChemistry MCQ
Ancient History of IndiaComputer Network PDF
Tricky Math HindiModern History India
Tricks of MathTricky Math

World Geography Notes for UPSC

No.-36. भारत का सबसे बड़ा गुम्यज, गोल गुम्बज है

(A) हैदराबाद में

(B) सिकन्दराबाद में

(C) बीजापुर में

(D) दिल्ली में

Ans : (C) बीजापुर में

 

No.-37. क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से सबसे छोटा देश है ?

(A) वेटिकन सिटी

(B) श्रीलंका

(C) माले

(D) मालद्वीव

Ans : (A) वेटिकन सिटी

 

No.-38. ‘मध्यरात्रि के सूर्य का देश’ कहा जाता है ?

(A) इंग्लैण्ड को

(B) जापान को

(C) हॉलैण्ड को

(D) नार्वे को

Ans : (D) नार्वे को

जरुर पढ़े :-

Disclaimer
sscnotespdf.com is designed only for the Educational Purpose Education sector, and is not the owner of any book/notes / PDF Material / Books available on it, nor has it been created nor scanned. We only provide the link and material already available on the Internet. If in any way it violates the law or there is a problem, please mail us at [email protected]

No.-1. Download 15000 One Liner Question Answers PDF

No.-2. Free Download 25000 MCQ Question Answers PDF

No.-3. Complete Static GK with Video MCQ Quiz PDF Download

No.-4. Download 1800+ Exam Wise Mock Test PDF

No.-5. Exam Wise Complete PDF Notes According Syllabus

No.-6. Last One Year Current Affairs PDF Download

No.-7. Join Our Whatsapp Group

No.-8. Join Our Telegram Group

Important MCQ

Que.-1. शुंग वंश के संस्थापक कौन थे?

(a) चन्द्रगुप्त मौर्य

(b) पुष्यमित्र शुंग

(c) शिशुनाग

(d) अजातशत्रु

Que.-2. राजतर्रागनी के लेखक कौन है?

(a) कालिदास

(b) अश्वघोष

(c) विष्णु शर्मा

(d) कल्हण

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top