Types of Pattern Allowance in Casting in Hindi - SSC NOTES PDF

Types of Pattern Allowance in Casting in Hindi

नमस्कार दोस्तों SSC NOTES PDF  वेबसाइट में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में पैटर्न के सभी प्रकार के अलाउंस (Pattern Allowance) की जानकारी दी गयी है। जो स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग साइड से है, उनके लिए यह आर्टिकल बहुत ही महत्वपूर्ण है।

पैटर्न अलाउंस क्या है | What is Pattern Allowance

पैटर्न से सांचा बनाने उसमें, धातु उड़ेलने, धातु के ठंडा होने तथा परिष्कृत ढली वस्तु प्राप्त करने तक अनेक परिस्थितियों और धातु के व्यवहार के कारण ढली वस्तु के साइज तथा आकार में परिवर्तन आ जाता है। इन्हीं परिवर्तनों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए अनेक प्रकार की छूटे पैटर्न पर दी जाती है। यही छूटे पैटर्न छूट (Pattern Allowance) कहलाती है। पैटर्न निर्माण के समय निम्न प्रकार की प्रमुख छूटों को ध्यान में रखना आवश्यक है-

पैटर्न अलाउंस के प्रकार | Types of Pattern Allowance in Casting in Hindi

संकुचन छूट (Shrinkage Allowance)

No.-1. जब धातु ठंडी होकर जमती है तो वह एक सिकुड़ती है। इसलिए जितना कोई धातु सिकुड़ती है वह उसकी संकुचन छूट कहलाती है, और उतना ही पैटर्न को वस्तु के आवश्यक साइज से बड़ा बनाया जाता है।

No.-2. किसी धातु के संकुचन की मात्रा उसके प्रकार, संगठन, ढाली जाने वाली वस्तु की डिजाइन, डालते समय धातु का तापमान तथा इसके ठंडा होने की दर पर निर्भर करती है। धातु के पैटर्न ढालने के लिए जिस पैटर्न का प्रयोग किए जाते हैं, उसे मास्टर पैटर्न कहते हैं और उस पर दोहरी छूट दी जाती है।

पृष्ट ढाल या ड्राफ्ट छूट (Draft Allowance)

No.-1. ड्राफ्ट या पृष्ठ ढाल वह ढाल है जो उसकी सभी ऊर्ध्वाधर सतहों पर दी जाती है जिससे उसे सांचे में से सुविधापूर्वक बिना क्षति पहुंचाए निकाला जा सके।

No.-2. इसके अंतर्गत पैटर्न की सभी ऊर्ध्वाधर सतहें कुछ अंदर की तरफ टेपर कर दी जाती है। यह छूट पैटर्न के साइज तथा आकार के साथ बदलती है। यह छूट के मात्र तीन बातों पर निर्भर करती है। i) पैटर्न की यथार्थता ii) ऊर्ध्वाधर सतह की ऊंचाई तथा iii) पैटर्न को सांचे में से निकाले जाने की सुविधा की मात्रा

मशीनन या फिनिशिंग अलाउंस (Machining or Finishing Allowance)

No.-1. ढली वस्तुओं के उन सभी स्थानों या सतहों पर जिन पर मशीनन करनी होती है, कुछ अतिरिक्त पदार्थ प्रदान किया जाता है जिससे कि मशीनों के पश्चात ढली वस्तु का वांछित साइज प्राप्त हो सके।

No.-2. अतः जितना अतिरिक्त पदार्थ इस प्रकार की सतहों पर प्रदान किया जाता है। वह मशीनन छूट कहलाता है और पैटर्न उतना ही बड़ा बनाया जाता है। मशीनन छूट साधारणतया ढाली जाने वाली वस्तु के आकार डिज़ाइन, मशीन विधि और ढ़लाई की विधि आदि पर निर्भर करता है।

ऐठन, विकृति या केम्बर छूट (Wrap or Camber Allowance)

No.-1. ढाली गयी वस्तु के सारे भाग पर संकुचन समान नहीं होती क्योंकि कुछ भाग मोटे होते हैं जो शीघ्र ठंडी नहीं होती जबकि पतले भाग शीघ्र ठंडे हो जाते हैं।

No.-2. इस असमान संकुचन के कारण वस्तु में तापीय प्रतिबल पैदा हो जाते हैं। समान मोटाई की वस्तु पर भी हटाना जाती है क्योंकि सांचा भी ठंडा होने की दर प्रभावित करता है।

No.-3. जब ढली वस्तु की लंबाई उसकी मोटाई तथा चौड़ाई की अपेक्षा अधिक होती है तो ऐठन की प्रकृति भी अधिक होती है।

शेक या हिलाने के लिए छूट (Shake or Rapping Allowance)

No.-1. सांचे में से पैटर्न निकालने से पहले कुछ हिलाना या कंपन कराना आवश्यक होता है जिससे कि सांचे में पैटर्न कुछ ढीला हो जाए और सरलता से बाहर निकाला जा सके।

No.-2. परंतु हिलाने से सांचे का साइज कुछ बढ़ता है। जिससे अपेक्षतया बड़े साइज की वस्तु प्राप्त होती है। अतः हिलाने के प्रभाव को समाप्त करने के लिए पैटर्न को कुछ छोटी मापों का बनाया जाता है। पैटर्न पर इस प्रकार हिलाने की गुंजाइश रखने को ही शेक या कंपन की छूट कहा जाता है।

No.-3. दोस्तों उम्मीद है यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि आपके पास किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमेंट में जरूर पूछें। धन्यवाद

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Important MCQ

Que.-1. इंपीरियल बैंक की स्थापना किस वर्ष की गई?

(a) 1921

(b) 1924

(c) 1934

(d) 1949

Ans : (a) 1921

Que.-2. RBI का राष्ट्रीयकरण कब किया गया ?

(a) 1921

(b) 1934

(c) 1949

(d) 1955

Ans : (c) 1949

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