Madho Singh Bhandari / माधो सिंह भंडारी की अविस्मरणीय कहानी - SSC NOTES PDF

Madho Singh Bhandari / माधो सिंह भंडारी की अविस्मरणीय कहानी

माधो सिंह भंडारी, इन्हें माधो सिंह मलेथा नाम से भी जाना जाता है। माधो सिंह भंडारी का जन्म सन 1595 के आसपास उत्तराखंड राज्य  के टिहरी जनपद के मलेथा नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सोणबाण कालो भंडारी था। जो वीरता के लिए प्रसिद्ध थे। today we share about  माधो सिंह भंडारी का जीवन परिचय, माधो सिंह भंडारी की अविस्मरणीय कहानीpdf

Madho Singh Bhandari

No.-1. माधो सिंह भंडारी की बुद्धिमता और वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने सोणबाण कालो भंडारी को एक बड़ी जागीर भैंट की थी। माधो सिंह भी अपने पिता की तरह वीर व स्वाभिमानी थे।

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No.-2. माधो सिंह भंडारी कम उम्र में ही श्रीनगर के शाही दरबार की सेना में भर्ती हो गये और अपनी वीरता व युद्ध कौशल से सेनाध्यक्ष के पद पर पहुंच गये। वह राजा महिपात शाह (1629-1646) की सेना के सेनाध्यक्ष थे। जहां उन्होने कई नई क्षेत्रों में राजा के राज्य को बढ़ाया और कई किले बनवाने में मदद की।

No.-3. एक बार छुट्टियों में जब वह अपने गांव मलेथा आये तो वहां उन्हें वह स्वादिष्ट भोजन नहीं मिला जिसको वह राज-महल में पाने के आदी थे। वह अपनी पत्नी पर गुस्सा हुए और उन्होने अच्छा भोजन मांगा जबाब में पत्नी नें उन्हे वे सूखे खेत दिखा दिये जो पानी के अभाव में अनाज, फल व सब्जियां उगाने में असमर्थ थे। माधों सिंह बैचेन हो गये और उन्होनें निश्चय किया किसी भी तरह मलेथा गांव में पानी लेकर आयेंगे।

No.-4. गांव से कुछ दूर चन्द्रभागा नदी बहती थी, लेकिन नदी व गांव के बीच में बड़े-बड़े पहाड़ व चट्टानें थीं। माधों सिंह ने विचार किया कि अगर किसी प्रकार पर्वतीय नदी के मध्य आने वाले पहाड़ के निचले भाग में सुरंग निर्माण की जाये तो नदी का पानी गांव तक पहुंचाया जा सकता हैं। दृढ़ निश्चयी माधो सिंह ने सुरंग खोदने वाले विशेषज्ञों व गांव वालों को साथ लेकर काम शुरु कर दिया।

No.-5. महीनों की मेहनत के बाद सुरंग तैयार हो गयी। सुरंग के ऊपरी भाग में मजबूत पत्थरों को लोहे की कीलों से इस प्रकार सुदृढ़ता प्रदान की गयी कि भीषण प्राकृतिक आपदा का भी उन पर प्रभाव नहीं पड़ सके।

Madho Singh Bhandari – Tunnel

No.-1. माधो सिह को अपने जवान पुत्र गजे सिंह को नहर बनाने की प्रक्रिया में बलि पर चढ़ाना पड़ा। उस क्षेत्र की लोक कथाओं के अनुसार जब सुरंग बनकर तैयार हो गयी तब नदी के पानी को सुरंग में ले जाने के अनेक प्रयास किये गये लेकिन कई तरह के बद्लावों, पूजा पाठों के बाद भी नदी का पानी सुरंग तक नहीं पहुंच पाया। माधो सिंह काफी परेशान हो गये।

No.-2. एक रात माधो सिंह को सपना आया कि उन्हें पानी लाने के लिये अपने एकमात्र बेटे की बलि देनी पड़ेगी। पहले तो वह इसके लिये तैयार नहीं थे, लेकिन बाद में अपने पुत्र गजे सिंह के ही कहने पर वह तैयार हो गये। उनके पुत्र की बलि दी गयी और उसका सर सुरंग के मुँह पर रख दिया गया।

No.-3. इस बार जब पानी को मोड़ा गया तो इस बार पानी सुरंग से होते हुए सर को अपने बहाव में बहा ले गया और उसे खेतों में प्रतिष्ठापित कर दिया। जल्दी ही माधों सिंह की छुट्टियां खतम हो गयी और वह वापस श्रीनगर चले गये फिर कभी अपने गाँव लौट कर न आने का निर्णय किया।

No.-4. आज मलेथा गांव समृद्ध व हरा भरा है, लेकिन उस गांव के लोग अभी भी अपने नायक माधो सिंह को नहीं भूले हैं और वह माधों सिंह द्वारा बनायी गयी नहर आज तकरीबन चार सौ सालों बाद भी मलेथा तक पानी पहुंचा रही है।

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Important MCQ’s

Que.-1.फुटबाल का ‘ब्लैक पर्ल’ किसे कहा जाता है?

(a) पेले

(b) माराडोना

(c) इयान यो

(d) आनद्र

Ans   (a) पेले

Que.-2.बंगलादेश किस वर्ष स्वतंत्र हुआ?

(a) 1970

(b) 1971

(c) 1972

(d) 1974

Ans   (b) 1971

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