Gopal Das Neeraj Biography in Hindi:- Today in this post we share important Information about Gopal Das Neeraj in Hindi for all competitive exams.
गोपालदास नीरज (जन्म: 4 जनवरी 1925), हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक हैं।
वे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया, पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से। यही नहीं, फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।
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Know About Biography of Gopal Das Neeraj in Hindi
No.-1. गोपालदास सक्सेना “नीरज” का जन्म इटावा जिले के ब्लॉक महेवा के निकट पुरावली नामक गॉव में एक कायस्थ-परिवार में हुआ था
No.-2. गोपालदास जी के पिता का नाम बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना था जिनका कि इनकी 6 वर्ष की आयु में ही निधन हो गया था
No.-3. गोपालदास जी ने वर्ष 1942 में एटा से हाई स्कूल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया इसके बाद सिनेमाघर में नौकरी की
गोपालदास जी ने नौकरी के साथ-साथ प्राइवेट वर्ष 1949 में इण्टरमीडिएट, वर्ष 1951 में बी0ए0 तथा वर्ष 1953 में हिंदी से एम0ए0 किया था
No.-4. गोपाल जी ने मेरठ कॉलेज वर्ष 1955 में हिन्दी प्रवक्ता पद पर कार्यरत रहे इसके बाद अलीगढ के धर्मसमाज कॉलेज में हिन्दी के अध्यापक रहे
No.-5. गोपाल दास जी का विवाह होने केे पश्चात इन्होने वर्ष 1967 के आम चुनाव में कानपुर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे थे
No.-6. गोपाल जी को कवि सम्मेलनों में लोकप्रिय होने के बाद इन्हें बम्बई के फिल्म जगत में गीत लिखने का सुनहरा मौका मिला जिससे ये काफी लोकप्रिय हो गये
No.-7. जिसके फलस्वरूप इन्हे पहली ही फिल्म में लिखे कुछ गीतों से बहुत लोकप्रिय हुए जिसके कारण इनका फिल्म जगत का सफर कई वर्षो तक जारी रहा
No.-8. इन्हे अपने जीवनकाल में कई सम्मानों से सम्मानित किया गया बहुत सारी फिल्मों में गाने लिखने के बाद इन्होने बम्बई नगरी से बापस आकर अलीगढ में वापस आ गये
No.-9. गोपाल दास नीरज का लम्बी बिमारी केे बाद 19 जुलाई वर्ष 2018 को लगभग 93 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में नि धन होगया
Gopal Das Neeraj Biography in Hindi
प्रमुख कविता संग्रह
हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश के अनुसार नीरज की कालक्रमानुसार प्रकाशित कृतियाँ इस प्रकार हैं:
No.-1. संघर्ष (1944)
No.-2. अन्तर्ध्वनि (1946)
No.-3. विभावरी (1948)
No.-4. प्राणगीत (1951)
No.-5. दर्द दिया है (1956)
No.-6. बादर बरस गयो (1957)
No.-7. मुक्तकी (1958)
No.-8. दो गीत (1958)
No.-10. गीत भी अगीत भी (1959)
No.-11. आसावरी (1963)
No.-12. नदी किनारे (1963)
No.-13. लहर पुकारे (1963)
No.-14. कारवाँ गुजर गया (1964)
No.-15. फिर दीप जलेगा (1970)
No.-16. तुम्हारे लिये (1972)
No.-17. नीरज की गीतिकाएँ (1987)
पुरस्कार एवं सम्मान
नीरज जी को अब तक कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हो चुके हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है:
No.-1. विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार
No.-2. पद्म श्री सम्मान (1991), भारत सरकार
No.-3. यश भारती एवं एक लाख रुपये का पुरस्कार (1994), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
No.-4. पद्म भूषण सम्मान (2007), भारत सरकार
फिल्म फेयर पुरस्कार
नीरज जी को फ़िल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्नीस सौ सत्तर के दशक में लगातार तीन बार यह पुरस्कार दिया गया। उनके द्वारा लिखे गये पुररकृत गीत हैं-
No.-1. 1970: काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म: चन्दा और बिजली)
No.-2. 1971: बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ (फ़िल्म: पहचान)
No.-3. 1972: ए भाई! ज़रा देख के चलो (फ़िल्म: मेरा नाम जोकर)
गोपालदास नीरज के गीत | जलाओ दीये | Neeraj Ke Geet
जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए ।
नई ज्योति के धर नये पंख झिलमिल,
उड़े मर्त्य मिट्टी गगन-स्वर्ग छू ले,
लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी,
निशा की गली में तिमिर राह भूले,
खुले मुक्ति का वह किरण-द्वार जगमग,
अब तो मजहब कोई | नीरज के गीत
अब तो मजहब कोई, ऐसा भी चलाया जाए
जिसमें इनसान को, इनसान बनाया जाए
आग बहती है यहाँ, गंगा में, झेलम में भी
कोई बतलाए, कहाँ जाकर नहाया जाए
मेरा मकसद है के महफिल रहे रोशन यूँही
खून चाहे मेरा, दीपों में जलाया जाए
जितना कम सामान रहेगा | नीरज का गीत
जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा
जितनी भारी गठरी होगी
उतना तू हैरान रहेगा
उससे मिलना नामुमक़िन है
जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा
हाथ मिलें और दिल न मिलें
ऐसे में नुक़सान रहेगा
तुम दीवाली बनकर
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
सूनी है मांग निशा की चंदा उगा नहीं
हर द्वार पड़ा खामोश सवेरा रूठ गया,
है गगन विकल, आ गया सितारों का पतझर
तम ऐसा है कि उजाले का दिल टूट गया,
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