क्या है रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट, कैसे लड़ेगा कोरोना के खिलाफ? - SSC NOTES PDF
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट

क्या है रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट, कैसे लड़ेगा कोरोना के खिलाफ?

कोरोना वायरस को हराने के लिए भारत सरकार अब रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट (Rapid Antibody Blood Test) करने जा रही है। जिसका इस्तेमाली अभी केवल हॉटस्पॉट वाले इलाके में किया जाएगा। भारत के पास चीन की दो कंपनियों से कुल पांच लाख रैपिड जांच किट आई हैं। इन दोनों की जांच का तरीका अलग है। ये एंटी बॉडी की जांच के लिए हैं। ये रैपिड एंटी बॉडी जांच किट कोरोना की शुरुआती जांच के लिए बल्कि सर्विलांस के लिए उपयोग में लाई जाएगी। बतादे कि भारत में 24 लोगों की जांच में एक मरीज पॉजिटिव आ रहा है। जापान में यह आंकड़ा 11.7 जांच में एक पॉजिटिव का और इटली में हर 6.7 लोगों की जांच पर एक पॉजिटिव है। वहीं, अमेरिका में यह 5.3 और ब्रिटेन में 3.4 है। तो आइए जानते है कि रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट क्या है और यह कैसे काम करता है?

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जैसा ​कि हम जानते है कि किसी के शरीर में जब विषाणुओं का प्रवेश होता हैं तो उनसे लड़ने के लिए शरीर कुछ शस्त्र तैयार करता है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में एंटीबॉडी कहते हैं। विषाणु के आकार से ठीक विपरित आकार की एंटीबॉडी खुद-ब-खुद शरीर में तैयार होकर वायरस से चिपक जाती है और उसे नष्ट करने का काम करती है। एंटीबॉडी कई प्रकार के होते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक खून में मौजूद एंटीबॉडी से ही पता चलता है कि किसी शख्स में कोरोना या किसी अन्य वायरस का संक्रमण है या नहीं। यानी एंटीबॉडी शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती है।
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट में मरीज के खून का सैंपल लिया जाता है। आसान भाषा में कहे तो अंगुली में सुईं चुभोकर खून का सैंपल लेते हैं, जिसका परिणाम भी 15 से 20 मिनट में आ जाता है। इसमें यह देखते हैं कि संदिग्ध मरीज के खून में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी काम कर रही है या नहीं। अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्ट किया जाता है, जिसमें रूई के फाहे की मदद से मुंह के रास्ते से श्वास नली के निचले हिस्सा में मौजूद तरल पदार्थ का नमूना लिया जाता है। लॉकडाउन के दौरान एंटीबॉडी टेस्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि इसका इस्तेमाल उनलोगों की पहचान के लिए किया जा रहा है, जिनमें कोरोना का खतरा है।

सेरोलॉजिकल टेस्ट और एंडीबॉडी टेस्ट क्या है?

एंटीबॉडी टेस्ट को ही सेरोलॉजिकल टेस्ट कहा जाता है। किसी संक्रमण के लक्षण को पहचानने में एंटीबॉडी को तीन-चार दिनों तक का वक्त लगता है, क्योंकि मानव शरीर एंटीबॉडी प्रोटीन को तभी पैदा करता है जब शरीर में कोई संक्रमण होता है। आईसीएमआर के मुताबिक खांसी, जुकाम आदि के लक्षण दिखने पर पहले 14 दिनों के लिए क्वारंटीन किया जाता है और उसके बाद एंटीबॉडी टेस्ट होता है। यदि रैपिड एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट निगेटिव आता है तो मरीज का आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट होगा। यदि उसके बाद यदि रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो इसका मतलब कोरोना संक्रमण है। इसके बाद शख्स को प्रोटोकॉल के अनुसार आइसोलेशन में रखा जाएगा, उसका इलाज होगा और उसके संपर्क में आए लोगों को खोजा जाएगा। सेरोलॉजिकल टेस्ट जेनेटिक टेस्ट के मुकाबले काफी सस्ता होता है। सेरोलॉजिकल टेस्ट में रिवर्स-ट्रांसक्रिप्टेस रीयल-टाइम पोलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) के जरिए बहुत ही कम समय में रिजल्ट मिल जाता है।

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