उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्र या उत्तराखंड में प्रयुक्त होने वाले पारम्परिक वाद्य यंत्र बिणाई, हुड़की, दमाऊ, डोर थाली आदि की जानकारी यहाँ दी गयी है।
उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्र
No.-1. उत्तराखंड के संगीत में प्रकृति का वास है। यहां के गीत-संगीत की जड़ें प्रकृति से जुडी हुई हैं। जिस प्रकार उत्तराखंड की वेशभूषा कुछ अलग है उसी तरह यहां के गीत-संगीत और वाद्य यंत्र (संगीत उपकरण) भी भिन्न हैं। समय के साथ यहाँ के गीत-संगीत कुछ धूमिल से हो गए हैं और पुराने वाद्य यंत्रों की जगह आधुनिक वाद्य यंत्रों ने ले ली है। पर आज भी खास अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों या त्योंहारों पर यहाँ के संगीत की छाप दिख जाती है।
No.-2. उत्तराखंड के कुछ खास व विलुप्त हो चुके और विलुप्तता की कगार पर खड़े वाद्य यन्त्र निम्न प्रकार हैं :-
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बिणाई
No.-1. बिणाई (Binai) Uttarakhand music instrument
No.-2. बिणाई [IMAGE-MUSICINSTRUMENTS.IN]
No.-3. बिणाई लोहे से बना एक छोटा-सा वाद्य यंत्र है, जिसे उसके दोनों सिरों को दांतों के बीच में रखकर बजाया जाता है। यह वाद्य यंत्र अब विलुप्त (Extinct) होने की कगार पर है।
ढोल
No.-1. Dhol Musical instruments used in Uttarakhand
ढोल
No.-2. ताम्बे और साल की लकड़ी से बना ढोल राज्य में सबसे प्रमुख वाद्य यंत्र है। इसके बाये पुड़ी (खाल) पर बकरी की और दाई पुड़ी (खाल) पर भैस या बारहसिंगा की खाल चढ़ी होती है।
हुड़की या हुडुक
No.-1. हुड़की यहाँ का महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र है। इसकी लम्बाई एक फुट तीन इंच के लगभग होती है । इसके दोनों पूड़ियों को बकरी की खाल से बनाया जाता है। यह प्रेरक प्रसंग, जागर तथा कृषि कार्यों में बजाया जाता है । यह दो प्रकार के होते हैं – बड़े को हुडुक और छोटे को साइत्या कहा जाता है।
दमाऊं या दमामा
No.-1. dhol damau uttarakhand musical instrument
No.-2. दमाऊं या दमामा [IMAGE-DAINIKUTTARAKHAND.COM]
No.-3. पहले दमाऊं या दमामा का उपयोग युद्ध वाद्यों के साथ और राजदरबार के नक्कारखानों के साथ होता था, लेकिन अब यह एक लोक वाद्य है। इसके द्वारा धार्मिक नृत्यों से लेकर अन्य सभी नृत्य संपन्न किये जाते है।
No.-4. तांबे का बना यह वाद्य-यंत्र एक फुट ब्यास तथा 8 इंच गहरे कटोरे के सामान होता है। इसके मुह पर मोटे चमड़े की पुड़ी (खाल) मढ़ी जाती है।
डौंर थाली
No.-1. डौंर या डमरू यहाँ का प्रमुख वाद्य-यंत्र है, जिसे हाथ या लाकुड से तथा थाली लाकुड से डौंर से साम्य बनाकर बजाया जाता है। डौंर प्राय: सादण की ठोस लकड़ी को खोखला कर के बनाया जाता है, इसके दोनों और बकरे की खाल चढ़ी होती है। चर्म वाद्यों में डौंर ही एक ऐसा वाद्य है, जिसे कंधे में नही लटकाया जाता है और इसे दोनों घुटनों में रख कर बजाया जाता है।
मोछंग
No.-1. mochang musical instrument uttarakhand
No.-2. यह लोहे की पतली सिराओं से बना हुआ छोटा से वाद्य-यंत्र है। जिसे होंटों पर रखकर एक ऊँगली से बजाया जाता है। होटों की हवा के प्रभाव तथा ऊँगली के संचालन से इसमें से मधुर स्वर निकलते है।
डफली
No.-1. Tambourine Musical Instrument of Uttarakhand
No.-2. यह थाली के आकर का वाद्य है, जिस पर एक और पुड़ी (खाल) चढ़ी होती है। इसके फ़्रेम पर घुंघुरू भी लगाये जाते है, जो इसकी तालो को और भी मधुर बनाते है।
मशकबीन
No.-1. यह एक यूरोपीय वाद्य-यंत्र है, जिसे पहले केवल सेना के बैंण्डों में बजाया जाता था। यह कपडे का थैलीनुमा होता है, जिनमे 5 बांसुरी जैसे यंत्र लगे होते है और एक नली फुकने के लिए होती है।
इकतारा
No.-1. यह तानपुरे के सामान होता है, इसमें केवल एक तार होता है।
सारंगी
No.-1. Sarangi musical instrument uttarakhand
No.-2. सारंगी का प्रयोग बाद्दी (नाच-गाकर जीवनयापन करने वाली जाति) और मिरासी अधिक करते है। पेशेवर जातियों का यह मुख्य वाद्य-यंत्र है।
अल्गोजा (बांसुरी)
No.-1. यह बांस या मोटे रिंगाल की बनी होती है, जिसे स्वतंत्र और सह-वाद्य दोनों ही रूपों में बजायी जाती है। इसके स्वरों के साथ नृत्य भी होता है। खुतेड़ या झुमेला गीतों के साथ बांसुरी बजायी जाती है, पशुचारक इसे खूब बजाते है।
तुहरी और रणसिंघा
No.-1. यह एक दूसरे से मिलते-जुलते फूक वाद्य-यंत्र है, जिन्हें पहले युद्ध के समय बजाया जाता था। तांबे का बना यह एक नाल के रूप में होता है, जो मुख की और संकरा होता है। इसे मुहं से फूंक कर बजाया जाता है।
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Important MCQ’s
Que.-1.नन्दनकानन वन्य जीव अभ्यारण कहाँ है?
(a) तमिलनाडु
(b) केरल
(c) महाराष्ट्र
(d) ओडीसा
Ans : (d) ओडीसा
Que.-2.भारत का सबसे प्राचीन स्मृति ग्रंथ कौन है ?
(a) नारद स्मृति
(b) मनुस्मृति
(c) याज्ञवल्य स्मृति
(d) वृहस्पति स्मृति
Ans : (b) मनुस्मृति